आखिर क्यों कंट्रोल संचालकों को खाद विभाग में भेजना पड़ता है हर महीने 2 से ₹5 का नजराना


कोरोना महामारी की आपदा को अवसर बनाकर काम कर रहा खाद विभाग कि अधिकारी स्वाति जैन


छतरपुर- जिले में खाध विभाग के भ्रष्टाचार की परतें खुलने लगी है विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों के द्वारा भारी कमीशन लेकर गरीबों के लिए आए राशन की कालाबाजारी की जा रही है मशीनों के खराब होने का बहाना बनाकर शासकीय राशन दुकान संचालकों द्वारा महीनों का राशन ब्लैक कर व्यापारियों बेच दिया जाता है जिसके बदले में मोटी रकम के रूप में नज़राना प्रतिमाह अधिकारियों को दिया जा रहा है। *विभाग में चल रहा राशन के कालाबाजारी का खेल* जानकारी के अनुसार लगभग दो बर्ष से खाद्य अधिकारी के रूप में श्रीमती स्वाति जैन जिले में पदस्त है इस दौरान स्वाति जैन ने राशन की कालाबाजारी करने में सभी रिकार्ड तोड़ दिए हैं मिली जानकारी के अनुसार खाद्य अधिकारी स्वाति जैन और उनके अधीनस्थ चार इंस्पेक्टरों के द्वारा दुकानों थंव मशीनों में गड़बड़ी कराकर राशन वितरण पर रोक लगवा दी जाती है और जब महीना गुजर जाता है तो उस माल की ब्लैकमैलिंग कर राशन को बेचा जाता है। इसका एक हिस्सा खाद्य अधिकारी को मिलता है। राशन दुकानदार हर माह देंते है रिश्वत नज़राना खाद्य विभाग के एक कर्मचारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि जिले में 656 राशन की दुकानें हैं। इन दुकानों से खाद्य विभाग को प्रतिमाह दो हजार रुपए से लेकर पांच हजार रुप तक का महीना बंधा हुआ है। इस राशि का मुख्य हिस्सा खाद्य अधिकारी स्वाति जैन अपने पास रखती हैं बचा खुचा हिस्सा फूड इंस्पेक्टरों को दिया जाता है। मुख्यमंत्री और कलेक्टर के अरमानों पर पानी फेर रही खाद्य अधिकारी कोरोना काल मे कलेक्टर शीलेन्द्र सिंह द्वारा गरीब और मजदूर वर्ग को राशन उपलब्ध कराने के लिए हर सम्भव प्रयास किये जा रही पर उन्ही की नाक के नीचे और मुख्यमंत्री की मंशा पर पानी फेरने वाली स्वाति जैन आखिरकार गरीबों का निवाला क्यों छीन रही है। इस संबंध में विभाग के कई कर्मचारी कुछ भी बोलने को तैयार नहीं हैं। उनका कहना है कि जब से मेडम आई हैं जिले में खाद्य व्यवस्था चरमरा गई हैँ।